Monday, June 27, 2011

Hindus in Britain

!!ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती मार्गरेट थैचर के उद्गार जो उन्होंने १९८८ में व्यक्त किया था!! :-

''पिछले वर्ष लन्दन में एक तीन दिवसीय हिन्दू सम्मलेन का आयोजन हुआ था जिसमें ब्रिटेन में रहने वाले एक लाख हिन्दू इक्कट्ठे हुए थे ! हमने उस कार्यक्रम की सुरक्षा व्यवस्था के लिए मात्र 400 पुलिस कर्मियों को भेजा था ! क्योंकि हमें पता था की वहाँ जमा सारे लोग हिन्दू हैं ! हिन्दू हमेशा शांतिप्रिय जीवन जीने की कामना करता है और इसीलिए हमें कानून व्यवस्था को लेकर किसी भी प्रकार के खतरे का भाव कभी भी मन में नहीं आया ! हमें किसी भी प्रकार की कोई चिंता नहीं हुई उस सम्मलेन के सन्दर्भ में !

''परन्तु उसी वर्ष लन्दन में ही एक हजार इमामों का एक सम्मलेन हुआ ! और उन एक हजार लोगों के कार्यक्रम के संभाल के लिए हमें दो हजार पुलिस बल तैनात करना पड़ा ! कारण इस्लाम उपद्रवियों का समाज है ! और उस पर भी ये मौलाना ही सभी उपद्रवों के जड़ हैं ! इसीलिए कानून व्यवस्था को लेकर प्रशासन चिंतित था ! ''

हमें पता है कि हिन्दू सपने में भी किसी का नुकसान नहीं कर सकता ! और हिन्दुओं की ''परिवार व्यवस्था'' तो दुनियाँ की अनोखी व्यवस्था है ! आपके परिवारों में जो संस्कार सिखाये जाते हैं उसका ही परिणाम है यह शांतिप्रियता ! आपकी जीवन पद्धति से प्रभावित होकर हमने अपने 100 सांसदों के परिवारों में प्रयोग के तौर पर यह हिन्दू जीवन शैली को अपनाने का प्रयोग करने का निर्णय लिया है ! अगर हमें सफलता मिली तो हम ब्रिटिश संसद में इस विषय पर एक प्रस्ताव पारित करेंगे ! (धय्ताब्य है की मार्गरेट थैचर की सरकार ने यह प्रस्ताव ब्रिटेन की संसद में पारित करवाया था उनके इस भाषण के एक वर्ष के उपरांत !) ब्रिटेन में हिन्दू परिवार व्यवस्था अपनाया जाय यह हमारी हार्दिक इच्छा है ! उपरोक्त उद्गार ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती मार्गरेट थैचर ने १९८८ में लन्दन में आयोजित ''हिन्दू स्वयमसेवक संघ'' के एक कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवकों को संवोधित करते हुए व्यक्त किया था !''

(ब्रिटेन में उस समय के समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर संकलित)

परन्तु आज हमारे देश के राजनेताओं को हिन्दू आतंकवादी नजर आता है ! और कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेकने वाली हमारी सरकार हिन्दुओं के शांतिपूर्ण अनशन पर बर्बर पुलिस कार्रवाई करती है ! मित्रों, अत्यंत गंभीर विचार करने की आवश्यकता है इस विषय पर ! जरा सोचो...

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