कांग्रेस की सरकार गूगल के जरिए न्यू मीडिया पर सेंसरशिप कर रही है
कहने के लिए तो भारत में मीडिया स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की पूरी आजादी है, लेकिन क्या सरकारें और प्रशासन अपनी निंदा बर्दाश्त कर पाते हैं? अगर सर्च इंजिन गूगल की मानें तो उत्तर होगा, नहीं।
गूगल की 'ट्रांसपरेंसी रिपोर्ट' के मुताबिक छह महीनों में प्रशासन की ओर से भी गूगल से कई बार कहा गया कि वे प्रधानमंत्री , कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों की आलोचना करने वाले रिपोर्ट्स, ब्लॉग और यू-ट्यूब वीडियो को हटा दें।
'ट्रांसपेरंसी रिपोर्ट' के मुताबिक जुलाई 2010 से दिसंबर 2010 के बीच ऐसे 67 आवेदन आए, जिन्हें गूगल ने नहीं माना। इन 67 आवेदनों में से छह अदालतों की ओर से आए और बाकी 61 प्रशासनिक हल्कों से।
रिपोर्ट के अनुसार ये आवेदन 282 रिपोर्ट्स को हटाने के बारे में थे। इनमें से 199 यू ट्यूब के वीडियो, 50 सर्च के परिणामों, 30 ब्लॉगर्स से संबंधित थे। गूगल के हालांकि इसके विवरण नहीं दिए हैं, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक उसने कोई भी रिपोर्ट हटाई नहीं, हालांकि 22% में बदलाव किए।
लेकिन गूगल एक बहुत ही जिमेदार कंपनी है उसने कांग्रेस सरकार के आदेश को मानने से इंकार कर दिया .. गूगल का कहना है की वो सिर्फ धार्मिक आलोचना , न्यूड आदि के खिलाफ है लेकिन गूगल अभिव्यक्ति की आज़ादी को मानने वाली कंपनी है .. यहाँ तक की सरकार ने अमेरिकी प्रशाशन से भी गूगल पर दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन अमेरिका में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता भारत से भी जयादा है ..
गूगल की ट्रांसपेरंसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि दुनिया के ज्यादातर देशों की न्याय प्रक्रिया से जुड़ी अलग-अलग एजेंसियां गूगल से उसकी सेवाएं इस्तेमाल करने वालों की जानकारी मांगती हैं।
भारत में जुलाई 2010 से दिसंबर 2010 के बीच ऐसे 1,699 आवेदन किए गए, जिनमें से गूगल ने 79% के लिए जानकारी उपलब्ध करवाई।
अन्य देश : छह महीनों की इस अवधि में जानकारी हटाने की अधिकतम 263 आवेदन ब्राजील से आए। इनमें से कई चुनाव के दौरान किए जा रहे प्रचार से संबंधित थे।
गूगल के मुताबिक ब्राजील में उसकी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ‘ऑर्कुट’ बेहद लोकप्रिय है, जिस वजह से उस पर उप्लब्ध जानकारी पर सरकारी नियंत्रण की कोशिशें अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा हैं।
दक्षिण कोरिया से आए 139 आवेदनों में से ज्यादातर कोरियाई इन्फॉरमेशन सिक्यूरिटी एजेंसी की ओर से थे। इनमें खोज के ऐसे परिणाम हटाए जाने की मांग की गई थी जो कोरियाई सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले निजी प्रमाण संख्या (आरआरएन) की जानकारी देते थे।
तीसरे नंबर पर जर्मनी से इसी अवधि में 118 आवेदन दिए। इनमें से अधिकांश सरकारी यूथ प्रोटेक्शन एजेंसी की ओर से थे। इनमें नाजी स्मृति चिन्हों, हिंसा या पोर्नोग्राफी से संबंधित परिणामों को हटाने का अनुरोध किया गया था।
No comments:
Post a Comment